ज़िंदगी में कुछ रिश्ते इतने ख़ूबसूरत लगते हैं कि हम उन्हें अपनी दुनिया समझ लेते हैं। मगर वक़्त और हालात के साथ जब सच्चाई सामने आती है, तो एहसास होता है कि वो रिश्ता सिर्फ एक मतलब का सौदा था।
इस लेख में हम उन्हीं मतलबी रिश्तों और चालाक लोगों की असलियत को शायरी के ज़रिए बयाँ करेंगे — वो दर्द जो अक्सर शब्दों से नहीं, मगर शायरी से बह निकलता है।
🖤 जब अपने ही पराए लगें
कभी-कभी जिनसे हम सबसे ज़्यादा उम्मीद रखते हैं, वही हमें सबसे बड़ा धोखा दे जाते हैं। उनका व्यवहार, उनका अंदाज़, सब कुछ धीरे-धीरे बदलता है और हम सोचते रह जाते हैं – “कहाँ गलती हो गई?”
“अपनों की भीड़ में सबसे ज़्यादा तन्हा हूँ,
वो भी मतलबी निकले जिन्हें अपना समझा हूँ।”
इन मतलबी रिश्तों की सबसे बड़ी पहचान यही होती है – जब तक आप उनके काम के हैं, तब तक आप ‘अपनों’ में गिने जाते हैं।
😔 मतलबी रिश्तों की सच्चाई
आजकल के रिश्ते ईमानदारी से नहीं, ज़रूरत से बनते हैं।
किसी को आपकी परवाह नहीं होती, बल्कि परवाह होती है कि आप उनके काम आ सकते हैं या नहीं।
“तुम खुश रहो, ये दुआ करते हैं हम,
क्योंकि तुम्हारा मतलब अब हमसे नहीं रहा।”
ऐसे लोग रिश्तों को ‘भावनात्मक निवेश’ नहीं, बल्कि ‘समय का सौदा’ समझते हैं।
“रिश्ते भी अब कॉन्ट्रैक्ट जैसे हो गए हैं,
शर्तें पूरी ना हों तो लोग बदल जाते हैं।”
इन पंक्तियों में छुपा दर्द सिर्फ वही समझ सकता है जिसने वाकई में किसी मतलबी रिश्ते चालाक लोग शायरी से अपनी ज़िंदगी को जोड़ा हो।
🧠 चालाक लोगों की पहचान
चालाक लोग किसी को धोखा देने से पहले मुस्कुराते हैं।
वो आपकी कमज़ोरियों को देखकर नहीं, इस्तेमाल करके चलते हैं। ऐसे लोग चेहरे पर मीठास और दिल में ज़हर लिए घूमते हैं।
“चेहरा मासूम, बातें मीठी,
पर इरादे चालाक निकले सभी।”
“चालाक लोग वो खेल खेलते हैं,
जिसमें हारते हम हैं और जीतते उनके इरादे।”
चालाक लोग आपके सामने आपकी तारीफ़ करेंगे, मगर पीठ पीछे आपका इस्तेमाल।
“जो हमारे साथ हँसते थे,
वही चालाक लोग आज हमें ही रुलाते हैं।”
💔 मतलबी रिश्ते चालाक लोग शायरी (मुख्य खंड)
अब पेश हैं कुछ खास मतलबी रिश्ते चालाक लोग शायरी, जो उस अंदरूनी दर्द को ज़ाहिर करती हैं जिसे शब्द नहीं बयाँ कर पाते:
“जब मतलब निकला तो मुंह मोड़ लिया,
यही तो हुनर है चालाक लोगों का।”
“तेरा हर लफ़्ज़ झूठा निकला,
मतलबी रिश्ता, बस दिखावा निकला।”
“जिन्हें अपना समझा वो गैर निकले,
चालाक लोग थे, दिल के सौदागर निकले।”
“वो बातें जो किसी ज़माने में सच्ची लगीं,
अब मतलबी लगती हैं, और झूठी भी।”
“मेरे टूटने की खबर थी सबको,
पर सबने तमाशा ही देखा, रिश्ता नहीं।”
“हमने दिल से निभाया,
उन्होंने दिमाग से तोड़ा।”
“हर रिश्ता अब एक गेम बन गया है,
चालाक लोग जीतते हैं, सच्चे हार जाते हैं।”
हर एक शायरी दिल के उस कोने से निकली है, जहाँ लोग सिर्फ चुपचाप दर्द सहते हैं।
इन पंक्तियों में वो दर्द छुपा है, जिसे महसूस करना शब्दों से ज़्यादा ज़रूरी है।
😞 जब मतलब निकल जाए तो रिश्ता भी चला जाता है
रिश्ते उस वक़्त टूटते नहीं जब लड़ाई होती है,
बल्कि उस वक़्त जब ‘मतलब’ खत्म हो जाता है।
“जिससे दिल लगाया,
उसी ने मतलब निकलते ही भुला दिया।”
“वो रिश्ता ही क्या,
जो फायदे पर टिका हो?”
इंसान जब इस्तेमाल होने लगता है, तो सबसे पहले उसका विश्वास मरता है। और जब भरोसा मर जाए, तो रिश्ता खुद-ब-खुद दम तोड़ देता है।
“मतलबी रिश्ते ऐसे होते हैं,
जो निभाए नहीं जाते, बस झेले जाते हैं।”
🕊 दिल का दर्द और फिर भी उम्मीद
हर टूटन के बाद एक ख़ामोशी होती है। और उस ख़ामोशी में बहुत कुछ कहा गया होता है।
लेकिन ज़िंदगी का ये भी उसूल है — टूटना मंज़ूर है, झुकना नहीं।
“टूट गए, मगर झुके नहीं,
मतलबी रिश्तों को हमने भी अलविदा कहा।”
“हमें भी आता है छोड़ देना,
पर निभाने की आदत छोड़ नहीं पाते।”
इंसान बहुत कुछ सह लेता है, मगर ‘मतलब से भरा रिश्ता’ सबसे ज़्यादा तोड़ता है।
“अब सीख लिया है हमने,
हर मुस्कुराता चेहरा सच्चा नहीं होता।”
🧡 निष्कर्ष: हर रिश्ता निभाने लायक नहीं होता
रिश्तों में सच्चाई, भरोसा और दिल की जगह होनी चाहिए —
ना कि चालाकी, स्वार्थ और मतलब।
मतलबी रिश्ते चालाक लोग शायरी के ज़रिए हमने उस दर्द को आवाज़ दी है,
जो अक्सर लोग अंदर ही अंदर छुपा लेते हैं।
“तू भी मतलबी निकला,
अफ़सोस हमें देर से पता चला।”
अगर आपने भी कभी ऐसा रिश्ता झेला है,
तो आप इन शायरी की हर लाइन में खुद को पाएंगे।
आपकी भी कोई ऐसी शायरी हो जो आपके जज़्बात बयाँ करे?
कमेंट में ज़रूर लिखें — क्योंकि दर्द बँटने से हल्का होता है।
🔚 अंतिम शायरी
“बड़े मतलबी हैं ये लोग यहाँ,
मतलब निकल गया तो नाम तक भूल जाते हैं।
हमने दिल से निभाया हर रिश्ता,
मगर जवाब में सिर्फ धोखा पाते हैं।”