रिश्ते इंसान की सबसे बड़ी पूंजी होते हैं। रिश्तों में भावनाएं होती हैं, समर्पण होता है, विश्वास होता है। लेकिन जब इन रिश्तों में स्वार्थ घुलने लगता है, तब वह रिश्ता सिर्फ नाम का रह जाता है। इस दुनिया में हर कोई चाहता है कि उससे सच्चा प्यार किया जाए, बिना किसी लालच या उम्मीद के। मगर हकीकत अक्सर इससे उलट होती है। जब आपको यह एहसास होता है कि सामने वाला सिर्फ अपने फायदे के लिए आपके करीब आया था, तब भीतर से बहुत कुछ टूट जाता है। ऐसे ही भावनात्मक दर्द को जब शब्द मिलते हैं, तब जन्म लेती है स्वार्थी लोग मतलबी रिश्ते शायरी।
आजकल के दौर में रिश्तों की गहराई कम और स्वार्थ की परतें ज़्यादा हो गई हैं। प्यार, दोस्ती, शादी या परिवार — हर जगह स्वार्थ ने अपने पांव पसार लिए हैं। कई बार कोई रिश्ता इतना खूबसूरत लगता है कि लगता है बस यही जिंदगी है। लेकिन जैसे ही सामने वाले का मतलब पूरा हो जाता है, वह अचानक बदल जाता है। आपकी भावनाएं, आपकी फिक्र, आपका वजूद — सब उसके लिए बेमानी हो जाता है। तब इंसान के पास न कुछ कहने को होता है, न समझाने को। बस एक ख़ामोशी होती है, और उसी ख़ामोशी को तोड़ती है शायरी।
“बड़ी अजीब सी दुनिया है ये,
यहाँ मतलब ना हो तो रिश्ता भी नहीं होता।”
स्वार्थी लोग मतलबी रिश्ते शायरी सिर्फ कुछ अल्फाज़ नहीं, बल्कि एक टूटी हुई आत्मा की आवाज़ होती है। जब कोई अपने सबसे करीबी इंसान से चोट खाता है, तब दिल किसी डायरी के पन्नों पर बह जाता है। इस तरह की शायरी में दर्द होता है, सच्चाई होती है, और एक ऐसा भाव होता है जो सीधे दिल में उतर जाता है।
“रिश्ते वही अच्छे होते हैं,
जो मतलब से दूर होते हैं,
वरना मुस्कुराहटें भी झूठी लगती हैं,
जब दिल से दिल का नाता नहीं होता।”
ऐसे रिश्तों की सबसे बड़ी त्रासदी यही होती है कि वे दिखने में बहुत सच्चे लगते हैं। सामने वाला इतना अपनापन दिखाता है कि आपको लगता है अब कुछ भी बुरा नहीं होगा। मगर जैसे ही कोई और उनकी ज़िंदगी में आ जाता है, या उनका फायदा पूरा हो जाता है, वो आपको ऐसे भूल जाते हैं जैसे कभी जानते ही नहीं थे। उनकी बातें, उनका वादा, उनका साथ — सब एक धोखा बनकर रह जाता है।
“मतलबी लोगों का क्या कहना,
जब ज़रूरत हो तभी याद आते हैं।
दिल में बसा के जो छोड़ा हमें,
अब किसी और की दुआ बन जाते हैं।”
दर्द जब हद से बढ़ता है, तब इंसान चुप नहीं रह सकता। उसके भीतर की पीड़ा कहीं न कहीं बाहर आने लगती है। यही कारण है कि आजकल सोशल मीडिया पर भी स्वार्थी लोग मतलबी रिश्ते शायरी की मांग बहुत बढ़ गई है। लोग उन अल्फाज़ को ढूंढते हैं जो उनके दिल की बात कह सकें। जो दर्द वो खुद बयां नहीं कर पा रहे, वो शब्दों में पिरोकर कोई और कह दे — यही उम्मीद उन्हें ऐसी शायरी की ओर खींच लाती है।
“वो जो अपना कहते थे,
आज ग़ैरों से भी बुरे निकले।
मतलब निकला और हमें छोड़ दिया,
जैसे रिश्ता कभी था ही नहीं।”
यह शायरी सिर्फ व्यक्तिगत दर्द नहीं, बल्कि सामाजिक सच्चाई का भी आईना है। आज रिश्ते दिखावे से शुरू होते हैं और स्वार्थ पर खत्म हो जाते हैं। पहले रिश्तों में सम्मान होता था, अब शर्तें होती हैं। पहले दोस्ती में भरोसा होता था, अब टाइमपास होता है। पहले प्यार में इम्तिहान होता था, अब सिर्फ खेल होता है। और जब इन सब सच्चाइयों से कोई टकराता है, तो वह अपने अनुभव को शब्दों में ढालता है — और तब बनती है एक ऐसी शायरी जो हर टूटे दिल के ज़ख्म पर मरहम का काम करती है।
“वो भी क्या दिन थे जब रिश्ते दिल से बनते थे,
अब तो मतलब हो तभी कोई पास आता है।”
स्वार्थी लोग मतलबी रिश्ते शायरी में अक्सर वो भावनाएं छिपी होती हैं जो सामने वाले ने कभी समझने की कोशिश नहीं की। यह शायरी उस आवाज़ को बुलंद करती है जिसे अक्सर दबा दिया जाता है। यह उस सच्चाई को सामने लाती है जिसे समाज छुपाना चाहता है। और यही वजह है कि इस तरह की शायरी सिर्फ दर्द की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि एक आत्मा की चीख होती है।
“जिसे हमने खुद से बढ़कर चाहा,
वही हमें सबसे कमज़ोर समझ बैठा।”
इस शायरी का दर्द उन लोगों के लिए भी एक आईना होता है जो दूसरों के जज़्बातों से खेलते हैं। उन्हें शायद अंदाज़ा नहीं होता कि उनका एक झूठा वादा, एक बेरुखी, एक धोखा — किसी की आत्मा को कितनी गहराई तक ज़ख्मी कर सकता है। मगर वक्त उन्हें भी सिखाता है। और तब उन्हें भी ऐसी ही शायरी याद आती है — मगर तब बहुत देर हो चुकी होती है।
“किसी को इतना भी मत चाहो,
कि वो तुम्हें तोड़ कर भी मुस्कुरा जाए।”
दूसरी ओर, ऐसी शायरी उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण भी बन जाती है जो टूट चुके हैं। जब वे पढ़ते हैं कि कोई और भी उन्हीं जैसी तकलीफ़ से गुज़रा है, तो उन्हें लगता है वे अकेले नहीं हैं। किसी ने उनके दर्द को समझा, महसूस किया और शब्दों में ढाला। यही जुड़ाव उन्हें थोड़ा और जीने की ताकत देता है।
“तू नहीं तो क्या हुआ,
तेरी यादें तो हैं।
तू मतलबी निकला,
मगर मेरी मोहब्बत तो सच्ची थी ना।”
ऐसी शायरी ना सिर्फ भावनात्मक सुकून देती है, बल्कि एक चेतावनी भी होती है — अगली बार जब कोई नया रिश्ता आए, तो आंखें खोलकर देखा जाए, दिल के साथ दिमाग भी लगाया जाए। क्योंकि सच्चे रिश्ते आजकल दुर्लभ हैं, और मतलबी लोग नकली मुस्कान के पीछे छुपे होते हैं।
“मतलब के रिश्ते हर मोड़ पर मिलेंगे,
मगर सच्चा साथ मुश्किल से मिलेगा।
जो बिना कहे समझे तुम्हारे दर्द को,
बस वही रिश्ता असली होगा।”
शायद यही वजह है कि स्वार्थी लोग मतलबी रिश्ते शायरी आज की पीढ़ी के लिए इतना ज़्यादा मायने रखती है। ये शायरी केवल अल्फाज़ नहीं, अनुभव हैं। ये भावनाएं सिर्फ इज़हार नहीं, इंकलाब हैं। ये रिश्ता सिर्फ टूटे दिल का नहीं, बल्कि आत्मा का है, जो शब्दों में समा गया है।
समाप्त करते हुए यही कहना चाहूंगा कि अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ हुआ है — अगर आपने भी किसी स्वार्थी इंसान की वजह से दर्द झेला है, तो अपने दर्द को छुपाइए मत। उसे शायरी के ज़रिए ज़ाहिर कीजिए। क्योंकि जब आप लिखते हैं, बोलते हैं, या पढ़ते हैं — तो दिल हल्का होता है। और कभी-कभी किसी और की लिखी हुई शायरी आपके लिए वो दवा बन जाती है, जिसकी आपको सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी।
“दुनिया के इस मेले में,
चेहरे हज़ार मिलेंगे।
पर जो दिल से दिल लगाए,
वो रिश्ते कम ही मिलेंगे।
मतलबी लोगों की भीड़ में,
सच्चाई को पहचानना मुश्किल है।
मगर जो पहचान जाए,
वो फिर खुद को कभी टूटने नहीं देता।”